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अमेरिका की राजनीति में लंबे समय से 2 दलीय व्यवस्था है। अमेरिका में अब तक रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक 2 पार्टियों का ही दबदबा रहा है, ऐसे में क्या एलन मस्क की राजनीति में एंट्री और उनकी अमेरिका पार्टी अमेरिका की इस 2 दलीय व्यवस्था को तोड़ने में कामयाब होगी, क्योंकि एलन मस्क ने राजनीति में आने का मुख्य कारण डोनाल्ड ट्रंप को बताया है। साथ ही इन 2 दलों का दबदबा खत्म करने और लोगों को तीसरा विकल्प देने का दावा भी किया है तो आइए जानते हैं कि एलन मस्क और उनकी पार्टी का अमेरिका की राजनीति पर कैसे और कितना असर पड़ेगा
रिपब्लिकन-डेमोक्रेटिक के कट सकते हैं वोट
राजनीति में एंट्री करते ही एलन मस्क ने साल 2026 के मिड टर्म इलेक्शन लड़ने के संकेत दिए हैं। ऐसे में साल 2026 के चुनाव में अमेरिका में रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है। मस्क की ‘अमेरिका पार्टी’ से रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी दोनों को नुकसान होने की संभावना है। दोनों पार्टियां अपना यंग वोट बैंक खो सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो मस्क दोनों के लिए 2026 और 2028 के चुनाव में बड़ा झटका साबित हो सकते हैं। दोनों दल और उनकी रणनीति कमजोर पड़ सकती है।

रिपब्लिकन पार्टी को ज्यादा नुकसान होगा
एलन मस्क की पार्टी का फोकस रिपब्लिकन वोटर्स को अट्रैक्ट करना है, लेकिन डेमोक्रेट्स के कुछ समर्थक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और टेक्नोलॉजी को लेकर एलन मस्क के विचारों से सहमत होकर उनकी ओर खिंच सकते हैं। इससे डेमोक्रेटिक पार्टी को कैलिफोर्निया जैसे टेक्निकल सेंटर्स में नुकसान उठाना पड़ सकता है। दूसरी ओर एलन मस्क रिपब्लिक के वोट काटने में कामयाब होते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप से इसका फायदा डेमोक्रेटिक को हो सकता है, क्योंकि मस्क को बतौर राजनेता और उनकी पार्टी को बतौर नेशनल पार्टी पहचान मिलने में अभी समय लगेगा।

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भारत ने पहलगाम हमले के बाद पीओके आतंकी शिविरों पर हमला किया था। इन हमलों में ड्रोन और राफेल लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भारत के 3-4 लड़ाकू विमान मार गिराने का दावा किया था। अब इस मामले में फ्रांस की खुफिया रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस की खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि पाकिस्तान के राफेल लड़ाकू विमान गिराने की अफवाह सबसे पहले चीन ने फैलाई थी। ताकि वह राफेल को युद्ध में उपयोग की दृष्टि से विफल साबित कर सके। इस प्रोपेगैंडा के जरिए चीन राफेल जेट विमानों की बिक्री को प्रभावित करना चाहता था। चीन अपने दूतावास के जरिए इन विमानों को खरीदने वाले देशों को बताया कि किस तरह चीन के बनाए लड़ाकू विमानों ने फ्रांस में बने लड़ाकू विमानों को धूल चटाई है। the news india live

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Fakhr-e-Millat Hazrat Maulana Abdul Wahed Owaisi R.A ki 50th barsi par AIMIM ka khiraj-e-aqeedat.

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